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Monday 23 December 2013

विचार-श्रंखला : दिसंबर -II, 2013

प्यार चेहरे की पहचान का मोहताज नहीं होता और न ही उसे बदले में प्यार चाहिए होता है। सच्चा प्यार कुछ मिलने की उम्मीद के बगैर सिर्फ देना जानता है।

नारी की करुणा अंतरजगत का उच्चतम विकास है, जिसके बल पर समस्त सदाचार ठहरे हुए हैं।

श्रद्धा मन में छिपी विस्मयकारी शक्ति को जगाती है, जिससे जीवन के सब कष्टों का निवारण सम्भव है।

विफल होने पर भी हिम्मत रखें और अपना काम निष्ठा से करते हुए अच्छे समय का इंतजार करें।

जो बच्चों को सिखाते हैं, उन पर बड़े अमल करें तो यह संसार स्वर्ग बन जाए। आचार्य जो काम आप कर रहे हैं, अगर उसमें विश्‍वास नहीं है, समर्पण नहीं है तो सफलता नहीं पाई जा सकती।

सिंकदर को ख्याल आया कि पौरुष, पराक्रम व साहस का मार्ग उसे एक ग्रंथ से मिला था, इसीलिए उसने उसे स्वर्णजड़ित पेटी में रखने का विचार किया।

आनंद हमारे अपने घर में ही होता है, उसे दूसरों के बगीचों में ढूंढ़ना बेकार है।

लक्ष्मी उन्हीं की सहायता करती है, जिसका निर्णय विवेकशील होता है।

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