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Saturday 16 August 2014

Quotes

1-“अपने सपनों को साकार करने का सर्वश्रेष्ठ तरीका है कि आप जाग जाएं. ”-पॉल वैलेरी

“The best way to make your dreams come true is to wake up.”-Paul Valeri

2-“मैं जीवन से प्यार करता हूं, क्योंकि इसके अलावा और है ही क्या”-एंथनी हाप्किन्स

“I love life because what more is there.”-Anthony Hopkins

Tuesday 4 March 2014

विचार-श्रंखला : मार्च-I, 2014

आपत्तियां मनुष्यता की कसौटी हैं, इन पर खरा उतरे बिना कोई भी व्यक्ति सफल नहीं हो सकता है।

विकन्द्रीकरण के इस युग में सपने ही वे कुंजियॉं हैं, जो हर एक को बान्धे रखते हैं।

जब श्रद्धा पैदा होती है, तो वह मार्ग की समस्त बाधाओं को दूर कर देती है। इससे चित्त निर्मल, आनंदित और मुक्त हो जाता है।

जिसको रहस्य गोपनीय रखना नहीं आता, वह सफलता का मुंह नहीं देख सकता।

एक बार मन में शक का कीड़ा रेंग गया, तो उसका इलाज न लुकमान के पास है, न धन्वन्तरि के पास।

दुनिया में तरक्की के बावजूद पत्रकारों का संघर्ष अभी भी खत्म नहीं हुआ है और न ही कभी हो पाएगा।

उपयोग और नयी बात सीखने के लिए सबसे पहले मस्तिष्क को खाली और निर्मल करना जरूरी है।

संकल्प करें कि मुझे सहन करने की शक्ति का विकास करना है। यह संकल्प महान बनने की दिशा उद्घाटित कर सकता है।

जब लड़की इश्क में डूबी होती है, तब वह क्या सोच रही है या बोल रही है, इसका उसे भान नहीं होता और इश्क में डूबे हुए लड़के को न कुछ साफ दिखाई देता है और नहीं ही सुनाई देता है।

वर्तमान को तो गुजर ही जाना है। अत: न तो खुशी से पागल हों और न गम से हताश हों। बल्कि ध्यान रहे, समय को तो बदलना ही है।

दूसरों को जानने वाला विद्वान और स्वयं को जानने वाला ज्ञानी है।

जब भगवान इंसान से घृणा नहीं करते तो फिर हमें क्या अधिकार है कि हम दूसरों से नफरत करें।

यदि किसी से अपना सम्मान करवाना है तो पहले दूसरों का सम्मान करना सीखें।

अपने लिए रास्ता तो सभी बनातें हैं, परन्तु इंसान तो वह महान है जो दूसरों के लिए रास्ता बनाता है।

सही मायने में हमारे दिमाग में हजारों अच्छे विचार आते है, लेकिन उन्हें आजमाने के लिए हमें पहले उन पर गहराई से विचार करना चाहिए।

कामयाबी इस बात से तय होती है कि आप अपने मकसद को पूरा करने के लिए किस हद तक आगे बढ़ने के लिए तैयार हैं।

स्वाभिमान की कीमत पर कोई सम्मान या कोई उपाधि लेना बुद्धिमानी नहीं है, अपना सम्मान खुद करना सीखें।

Monday 10 February 2014

विचार-श्रंखला : फरवरी-I, 2014

जो व्यक्ति परिवर्तन का जोखिम लेने से इनकार कर देता है, वह आगे बढने में असफल हो जाता है।

नियमित अभ्यास और समर्पण किसी भी चीज के लिए बहुत जरूरी है।

कहा जाता है कि ईश्‍वर भक्त के लिए हर चीज सुलभ रहती है, इसलिए उसे लोभ से दूर ही रहना चाहिए।

शांति हासिल करने के लिए शुरुआती कदम यह है कि अपनी शारीरिक प्रतिक्रियाओं को अनुशासित कर लें।

पद के अहंकार में अपने दायित्व को भूल जाने वाले व्यक्ति को जीवन में कष्ट उठाने पड़ते हैं।

विलासिता निर्बलाता और चाटुकारिता के वातावरण में न तो संस्द्भति का उद्भव होता है और न ही विकास।

यदि मनुष्य परिश्रम न कर और हाथ पर हाथ धरे रखकर केवल मशीनों पर निर्भर रहे तो वह कभी स्वस्थ नहीं रह सकता।

ईमानदारी वह गोंद है, जो हमारे जीने के तरीके को जोड़े रखती है। हमें अपनी ईमानदारी बरकरार रखने के लिए लगातार कोशिश करनी चाहिए।

जो धैर्यवान है और मेहनत से नहीं घबराता, सफलता उसकी दासी है।

Monday 23 December 2013

विचार-श्रंखला : दिसंबर -II, 2013

प्यार चेहरे की पहचान का मोहताज नहीं होता और न ही उसे बदले में प्यार चाहिए होता है। सच्चा प्यार कुछ मिलने की उम्मीद के बगैर सिर्फ देना जानता है।

नारी की करुणा अंतरजगत का उच्चतम विकास है, जिसके बल पर समस्त सदाचार ठहरे हुए हैं।

श्रद्धा मन में छिपी विस्मयकारी शक्ति को जगाती है, जिससे जीवन के सब कष्टों का निवारण सम्भव है।

विफल होने पर भी हिम्मत रखें और अपना काम निष्ठा से करते हुए अच्छे समय का इंतजार करें।

जो बच्चों को सिखाते हैं, उन पर बड़े अमल करें तो यह संसार स्वर्ग बन जाए। आचार्य जो काम आप कर रहे हैं, अगर उसमें विश्‍वास नहीं है, समर्पण नहीं है तो सफलता नहीं पाई जा सकती।

सिंकदर को ख्याल आया कि पौरुष, पराक्रम व साहस का मार्ग उसे एक ग्रंथ से मिला था, इसीलिए उसने उसे स्वर्णजड़ित पेटी में रखने का विचार किया।

आनंद हमारे अपने घर में ही होता है, उसे दूसरों के बगीचों में ढूंढ़ना बेकार है।

लक्ष्मी उन्हीं की सहायता करती है, जिसका निर्णय विवेकशील होता है।

Tuesday 19 November 2013

विचार-श्रंखला : नवम्बर-II, 2013

जिस कथन को आचरण में न उतारा जाए, उसमें शक्ति नहीं होती।

हम चिंतन करें और हर समस्या को उसके सही नजरिए से देखें तो हल निकल आएगा।

जो व्यक्ति अपना काम पूजा की तरह करते हैं, उन्हें समय कभी लम्बा और उबाऊ नहीं लगता।

जीवन का ध्येय तभी है, जब वह किसी महान ध्येय के लिए समर्पित हो, यह समर्पण न्यायमुक्त होना चाहिए।

थकने वाला थका ही रहता है और न थकने वाला कहीं का कहीं पहुंच जाता है।

अपने स्वरूप का ज्ञान करने के लिए भी एक ईश्‍वर रूपी गुरु की जरूरत होती है।

पुस्तकों का मूल्य रत्नों से भी अधिक है, क्योंकि वे अन्त:करण को उज्जवल करती है।

सभी को अपनी स्वतंत्रता प्रिय है, लेकिन इसे कायम रखने के लिए भय का सहारा नहीं लिया जा सकता।

यदि आदमी विपरीत परिस्थितियों में भी आपा नहीं खोता है, तो ऐसी स्थिति उसके लिए स्वर्ग जैसी है।

मनुष्य क्रोध को प्रेम से, पाप को सदाचार से, लोभ को दान से और झूठ को सत्य से जीत सकता है।

कभी भी वह काम न करें, जो दूसरे कर रहे थे और इसीलिए आप भी करने लगे। अपनी प्राथमिकताएं स्वयं तय रखें।

Thursday 10 October 2013

विचार-श्रंखला : अक्तूबर-I, 2013

किसी की भूल बताते समय अपने दृष्टिकोण को उदार बनाकर उसकी गलतियों का उल्लेख करेंगे, तो वह अपनी गलती नहीं दोहराएगा।

जो बोलता है वह फसल बोता है, जो सुनता है वह फसल काटता है।

जीवन में वही व्यक्ति उन्नति कर पाता है, जो स्वयं अपने को उपदेश देता है।

इच्छा होने पर और उसकी पूर्ति न होने पर अभाव खलता है, यहीं से जीवन में दुःख शुरू हो जाता है।

कवि अपने स्वर और चित्रकार अपनी रेखा में जीवन तत्व और सौंदर्य का रंग भरता है।

विद्या और गुण तो हमेशा से व्यक्तित्व के आभूषण माने गए हैं, लेकिन आज के युग में इन दोनों के अलावा चतुुराई भी जरूरी है।

आस्था हर एक के लिए जरूरी है, फिर चाहे वह किसी के भी प्रति क्यांे न हो।

ईर्ष्या मनुष्य को वैसे ही खा जाती है, जैसे कपड़े को कीड़ा।

सही क्षण को पहचान कर उसके अनुरूप निर्णय लेने की क्षमता ही सच्चे लीडर की पहचान हैं।

विनम्रता विरोधियों को भी अपना बना लेती है।

हम अपनी प्रतिभा और विनम्रता से अपने विरोधियों या अपने ऊपर क्रोध करने वालों को हमेशा के लिए अपना बना सकते हैं।

सभी संगठनों में गपशप करने वाले लोग होते हैं। ये उन कामों की आलोचना करते हैं, जिन पर सकारात्मक चिंतक मेहनत से जुटे रहते हैं।

व्यक्ति जितना स्वयं के द्वारा छला जाता है, उतना दूसरों के द्वारा नहीं।

सच्चे साहित्य का निर्माण एकांत चिंतन और एकांत साधना में होता है।

Wednesday 2 October 2013

जिन्दगी

जिन्दगी तो सिर्फ अपने कन्धों पर ही जी जाती है. दूसरों के कन्धों पर तो केवल जनाजे उठाये जाते हैं.-शहीद भगत सिंह

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