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Monday 10 February 2014

विचार-श्रंखला : फरवरी-I, 2014

जो व्यक्ति परिवर्तन का जोखिम लेने से इनकार कर देता है, वह आगे बढने में असफल हो जाता है।

नियमित अभ्यास और समर्पण किसी भी चीज के लिए बहुत जरूरी है।

कहा जाता है कि ईश्‍वर भक्त के लिए हर चीज सुलभ रहती है, इसलिए उसे लोभ से दूर ही रहना चाहिए।

शांति हासिल करने के लिए शुरुआती कदम यह है कि अपनी शारीरिक प्रतिक्रियाओं को अनुशासित कर लें।

पद के अहंकार में अपने दायित्व को भूल जाने वाले व्यक्ति को जीवन में कष्ट उठाने पड़ते हैं।

विलासिता निर्बलाता और चाटुकारिता के वातावरण में न तो संस्द्भति का उद्भव होता है और न ही विकास।

यदि मनुष्य परिश्रम न कर और हाथ पर हाथ धरे रखकर केवल मशीनों पर निर्भर रहे तो वह कभी स्वस्थ नहीं रह सकता।

ईमानदारी वह गोंद है, जो हमारे जीने के तरीके को जोड़े रखती है। हमें अपनी ईमानदारी बरकरार रखने के लिए लगातार कोशिश करनी चाहिए।

जो धैर्यवान है और मेहनत से नहीं घबराता, सफलता उसकी दासी है।

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