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Tuesday, 6 August 2013

विचार-श्रंखला : अगस्त-I, 2013

जिन्दगी भरपूर जीने के लिए है। इसलिये हमारा पूरा ध्यान खुश रहने पर होना चाहिए, न कि सुविधाएं जुटाने और उनके लिए चिन्ता करते रहने पर।

समस्याएं संसाधनों से नहीं, समझ से हल होती हैं।

धन जीवन के लिए कमाओ, न कि जीवन धन एकत्र करने में गंवाओ।

आज का पुरुषार्थ ही कल का भाग्य बनने वाला है।

मनुष्य इतना बुराई करने से नहीं डरता, जितना बदनामी से डरता है।

जिस समय जिस तरह के व्यवहार की आवश्यकता होती है, तब वैसा ही व्यवहार करना बुद्धिमान मनुष्य की पहचान है।

धन्यवाद शब्द एक सर्वोपति गुण है और जब कभी भी कोई आपका काम करता है, आपको यह उसे जरूर अदा कर देना चाहिए।

प्रशंसा उसे नहीं मिलती, जो उसकी खोज में रहता है।

निर्धनता आलस्य का पुरस्कार है।

यदि कोई हमारी त्रुटियों की तरफ हमारा ध्यान दिलाए तो हमें उन्हें स्वीकार करना चाहिए और उनहें दूर करने का प्रयत्न करना चाहिए।

जब आप खुद को सामने वाले के स्थान पर रखना सीख लेंगे, आपकी समझने की क्षमता बढेंगी और आप अच्छे श्रोता बन जाएंगे।

अच्छा स्वास्थ्य और अच्छी समझ जीवन में दो सर्वोत्तम वरदान हैं।

अगर आपमें विश्‍वास हो, साहस हो और काम करने की इच्छा हो, तो हर बाधा दूर की जा सकती हैं।

मुश्किलें ही जीवन को गढती हैं।

किसी की अच्छाईयां ढूंढने के बनिस्बत बुराइयां ढूढना कहीं आसान है।

आवश्यकताएं दुर्बल को भी साहसी बना देती हैं।

सूर्य अपने तेज से चमकता है, उधार मांगकर नहीं।

क्रोध मस्तिष्क को बुझा देता है।

धन और पेड़ की छाया समय के साथ-साथ घटते-बढते हैं।

एक बुराई दूसरी को जन्म देती है।

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