विजयी वही होते हैं, जिन्हें अपने जीतने का विश्वास होता है।
स्त्रोत : प्रेसपालिका, 16-31 जुलाई, 2013
किसी को भी अपने बल या बुद्धि पर घमण्ड नहीं करना चाकिए, किसी के परामर्श से ही सफलता मिलती है।
अधिक दुख और पतन के बाद ही अधिक उन्नति व हर्ष की बारी आती है।
मूर्खता क्या है, इसकी शुरुआत कहॉं से होती है, इसका बड़ा गहरा रहस्य है। हर व्यक्ति के मन-मस्तिष्क में इसका अलग-अलग स्तर होता है।
उस दिन को बेकार ही समझो, जिस दिन तुम हंसे नहीं।
चिरस्थायी एकता वहीं सम्भव है, जहां अंत:करण एक हो।
बड़े सरकारी अधिकारियों के दोनों हाथों मे लड्डू होता है, वही खाते हैं और वही परोसते हैं।
कम्प्यूटर की तरह ही हमारा मस्तिष्क भी एक आज्ञाकारी सेवक है। उसे इस बात की परवाह नहीं होती कि हम उसे किस तरह के निर्देश दे रहे हैं।
इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि पैसा बहुत महत्वपूर्ण चीज है। लेकिन चिन्ता की बात यह है कि हम पैसे को सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण समझने लगे हैं।
अपनी योग्यता का, अपने धन का दूसरों के सहयोग के लिए, समाज के उपयोग के लिए लाना ही वास्तविक उपयोगी व्यक्ति होना है।
संसार में केवल पांच प्रतिशत लोग ही अपनी असीमित बुद्धि का 50 प्रतिशत इस्तेमाल कर पातें हैं। अत: तथाकथित मूर्खों की संख्या ज्यादा है। यह अजीब सा तथ्य है कि बुद्धि का कम प्रयोग करने वाले लोग सरल और निर्मल हृदय के होते हैं। शायद बुरा करने के लिए चातुर्य आवश्यक है और चातुर्य आते ही न जाने क्यों मनुष्य बुराई की राह को ज्यादा पसंद करने लगता है। यह जरूरी नहीं है कि हर बुद्धिमान बुराई के रास्ते पर ही जाता है। शेक्सपीयर के नाटकों में दरबारी विदूषक रहा है और अकबर के दरबार में बीरबल की मौजूदगी की बात है।
मन शुद्ध व पवित्र हो तो नरक में भी सुख है और मन यदि शुद्ध न हो तो स्वर्ग में भी सुख नहीं मिल सकता।
यदि मन ही मैला है, तो तन के कपड़े धोने का कोई फायदा नहीं।
नाकामियों से घबराएं नहीं। ये सिर्फ सामने आने वाली रुकावटें ही हैं, जो आपको मजबूत बनती हैं।
सफलता ही सब कुछ नहीं है और नाकामी अंत नहीं है।
समस्याओं को नश्तर ही तरह प्रयोग करके ही असफलता के नासूर चीरे जा सकते हैं और दर्द की पीड़ा से उबरा जा सकता है।
व्यस्त आदमी के पास आंसू बहाने का समय नहीं होता।
पुस्तकों से विहिन घर खिड़कियों से विहिन भवन के समान है।
कर्मों के फलस्वरूप ही स्वर्ग नर्क की प्राप्ति होती है, किन्तु इनकी प्राप्ति मृत्यु के बाद ही नहीं, जीवित रहते हुए भी हो जाती हैं।
जो मस्तिष्क नकारात्मक बातों से मुक्त होता है वह हमेशा सकारात्मक परिणाम देता है। इसलिए अपने विचारों की सफाई कीजिए।
दुनिया एक खूबसूरत किताब है, मगर जो इसे पढ नहीं सकता, उसके लिए बेकार है।
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