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Thursday 10 October 2013

विचार-श्रंखला : अक्तूबर-I, 2013

किसी की भूल बताते समय अपने दृष्टिकोण को उदार बनाकर उसकी गलतियों का उल्लेख करेंगे, तो वह अपनी गलती नहीं दोहराएगा।

जो बोलता है वह फसल बोता है, जो सुनता है वह फसल काटता है।

जीवन में वही व्यक्ति उन्नति कर पाता है, जो स्वयं अपने को उपदेश देता है।

इच्छा होने पर और उसकी पूर्ति न होने पर अभाव खलता है, यहीं से जीवन में दुःख शुरू हो जाता है।

कवि अपने स्वर और चित्रकार अपनी रेखा में जीवन तत्व और सौंदर्य का रंग भरता है।

विद्या और गुण तो हमेशा से व्यक्तित्व के आभूषण माने गए हैं, लेकिन आज के युग में इन दोनों के अलावा चतुुराई भी जरूरी है।

आस्था हर एक के लिए जरूरी है, फिर चाहे वह किसी के भी प्रति क्यांे न हो।

ईर्ष्या मनुष्य को वैसे ही खा जाती है, जैसे कपड़े को कीड़ा।

सही क्षण को पहचान कर उसके अनुरूप निर्णय लेने की क्षमता ही सच्चे लीडर की पहचान हैं।

विनम्रता विरोधियों को भी अपना बना लेती है।

हम अपनी प्रतिभा और विनम्रता से अपने विरोधियों या अपने ऊपर क्रोध करने वालों को हमेशा के लिए अपना बना सकते हैं।

सभी संगठनों में गपशप करने वाले लोग होते हैं। ये उन कामों की आलोचना करते हैं, जिन पर सकारात्मक चिंतक मेहनत से जुटे रहते हैं।

व्यक्ति जितना स्वयं के द्वारा छला जाता है, उतना दूसरों के द्वारा नहीं।

सच्चे साहित्य का निर्माण एकांत चिंतन और एकांत साधना में होता है।

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