आप दर्पण में अपना चेहरा देख सकते हैं, लेकिन अपने कर्म में आप अपनी आत्मा को देख सकते हैं।-जॉर्ज बर्नार्ड शॉ
चाहे सूखी रोटी ही क्यों न हो, अपने श्रम से अर्जित भोजन से मधुर और श्रेष्ठ कुछ नहीं होता।-तिरुवल्लुवर
पुरुष भय और हिंसक तरीकों के जरिये महिलाओं पर अपना वर्चस्व कायम रखना चाहते हैं।-हर्ष मंदर, डायरेक्टर सेंटर फॉर इक्विटी स्टडीज
चाहे सूखी रोटी ही क्यों न हो, अपने श्रम से अर्जित भोजन से मधुर और श्रेष्ठ कुछ नहीं होता।-तिरुवल्लुवर
पुरुष भय और हिंसक तरीकों के जरिये महिलाओं पर अपना वर्चस्व कायम रखना चाहते हैं।-हर्ष मंदर, डायरेक्टर सेंटर फॉर इक्विटी स्टडीज
No comments:
Post a Comment